#मसूरी देश ही नहीं विदेश तक हिलस्टेशन के तौर पर अपनी एक अलग ही पहचान रखती है जहां पर विश्व भर के पर्यटक पूरे साल भर आते हैं लेकिन लगातार जिस प्रकार से यहां की सड़कों पर दबाव बढ़ रहा है यहां पर नाले खाले उफान पर आ रहे हैं कहीं ना कहीं यहाँ की व्यवस्थाएं चरमरा रही है.
नेता अधिकारी सिर्फ इतिश्री करके चले जाते हैं और यहां की दुर्दशा लगातार बढ़ती जा रही है, यहां की सड़क लगातार धस रही है यहां के पुराने पूस्ते टूट रहे हैं, हाल ही में इसके कई उदाहरण सामने आए हैं.
1.जो गलोगी पावर हाउस का ट्रीटमेंट 6 महीने में होना था, 8 जून तक जिसको समाप्त होना था वह अभी तक नहीं बन पाया है, उसका 30 प्रतिशत कार्य भी अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया.
2. मसूरी में लगातार जगह-जगह सीवर बह रहा है सीवर बहने की ऐसी समस्या आज से पूर्व कभी नहीं देखी गई.
3. मसूरी में जगह-जगह रोड और पुस्ते ढह रहे हैं जिसका कारण यह माना जा रहा है कि जब यहां पर सिवर लाइन और पेयजल योजना की लाइन बन रही थी उस समय जेसीबी के द्वारा जो कार्य किया गया उससे पुश्तों में और सड़कों में कंपन पैदा हुआ जिसके कारण सभी मार्ग और पुस्ते कच्चे हो गए. जिससे आने वाले समय में कई और मार्गों और भवनो को भी खतरा है.
4.लगातार जिस प्रकार से मसूरी में कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं और यहां से हरियाली खत्म होती जा रही है कहीं ना कहीं उमस और मच्छर पैदा हो रहे हैं इससे आने वाले समय में मसूरी में और ज्यादा गर्मी बढ़ सकती है. जिस मसूरी में हमने कभी पंखे देखे नहीं थे आज हमें पंखे लगाने की आवश्यकता महसूस हो रही है.
5. सिर्फ पैसे कमाने के लिए अंधा विकास किया जा रहा है. आज किंगक्रेग की पार्किंग में लगे करोड़ों रुपए धूल चाट रहे हैं, और दूसरी योजना इसी अंधे विकास की एक और है जिसमें की 0 पॉइंट पर पार्किंग बनाई जानी है जिसका उपयोग क्या होगा मेरे समझ से परे है आप अपनी राय अवश्य दें.
6. माल रोड के सौंदर्यकरण में 7 करोड रुपए खर्च कर दिए गए लेकिन वह सड़क छह महीने भी नहीं टिक पाई लगातार पूरे शहर में गड्ढे बन रहे हैं तालाब में तब्दील हो रही है, माल रोड, रोड के किनारे नाले नहीं छोड़े गए हैं, कहीं ना कहीं राज्य सरकार के नेताओं को और अधिकारियों को कहीं ना कहीं यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी सरकारी कार्य होते हैं उनकी एक समय सीमा तक विभाग की गारंटी हो कि कितने समय तक यह रोड या पुस्ता टिक पाएगा.
7. क्या पहाड़ों की रानी मसूरी में पर्यटक कंक्रीट के जंगल देखने के लिए आ रहे हैं, यहां की सुंदरता यहां की हवा की शीतलता , यहां का वातावरण, यहां के सौंदर्य से परिपूर्ण ऊंचे नीचे पहाड़ है, और अगर यह शीतलता और पहाड़ खत्म हो जाएंगे तो यहां पर कौन आएगा,
8.किताब घर से 0 पॉइंट तक जो टायलें बिछ रही है वह लगने से पहले ही उखड़ चुकी है जगह-जगह तालाब बन रहे हैं साथ ही पेयजल योजना भी जगह-जगह लीक हो रही है, साथ ही सिविर लाइन लगातार लीक हो रही है कहीं ना कहीं शहर वासियों को यह सोचना होगा कि मसूरी किस दिशा की ओर आगे बढ़ रहा है.
क्या यहां पर भी हिमाचल की तरह एक सशक्त भू कानून लागू नहीं हो सकता डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी ?